Table of Contents
- 1 Maa Durga Chalisa in Hindi | श्री दुर्गा चालीसा | Durga Chalisa Lyrics in Hindi
- 2 जय मां दुर्गा चालीसा हिंदी में उसके अर्थ सहित | Durga Chalisa in Hindi with it’s Meaning
- 3 हिंदी में माता दुर्गा चालीसा देखें | हिंदी में दुर्गा चालीसा सुनें और देखें | Maa Durga Chalisa in Hindi
- 4 Devi Durga Ma Video Gallery | दुर्गा माँ की आरतियाँ, मंत्र, चालीसा और भजन वीडियो
- 5 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
- 5.1 दुर्गा माँ चालीसा क्या है?
- 5.2 माता दुर्गा चालीसा का पाठ करने का उद्देश्य क्या है?
- 5.3 दुर्गा चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
- 5.4 क्या दुर्गा चालीसा रोज़ पढ़ी जा सकती है?
- 5.5 माता दुर्गा चालीसा पढ़ने के क्या लाभ हैं?
- 5.6 दुर्गा चालीसा मूल रूप से किस भाषा में लिखी गई है?
- 5.7 क्या दुर्गा चालीसा अंग्रेज़ी में पढ़ी जा सकती है?
- 5.8 माँ दुर्गा चालीसा के कितने श्लोक हैं?
- 5.9 क्या दुर्गा चालीसा वेद या पुराणों का हिस्सा है?
- 5.10 माता दुर्गा चालीसा की रचना किसने की थी?
जय मां दुर्गा चालीसा एक 40 चौपाइयों वाला भक्तिपूर्ण स्तोत्र है, जो माँ दुर्गा की शक्ति, ज्ञान और दिव्य स्वरूप की स्तुति करता है। इसके पाठ से मानसिक शांति, नकारात्मकता से रक्षा, साहस, और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। इसे विशेष रूप से नवरात्रि और दुर्गा पूजा के समय माँ दुर्गा के आशीर्वाद के लिए पढ़ा जाता है
दुर्गा माँ चालीसा एक भक्ति गीत है जो देवी दुर्गा को समर्पित है। जय मां दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से कई आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक लाभ प्राप्त होते हैं। यहां कुछ प्रमुख लाभ दिए गए हैं:
माता दुर्गा चालीसा के पाठ के लाभ:
- दिव्य सुरक्षा
दुर्गा चालीसा का पाठ करने से देवी दुर्गा के आशीर्वाद प्राप्त होते हैं, जो भक्तों को नकारात्मक ऊर्जा, दुष्ट आत्माओं और अनजानी खतरों से सुरक्षा प्रदान करती हैं। - शक्ति और साहस
दुर्गा शक्ति और बल का प्रतीक हैं। चालीसा का जाप आंतरिक शक्ति, साहस, और जीवन की चुनौतियों का सामना करने की क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। - आध्यात्मिक विकास
यह व्यक्ति के दिव्य के साथ संबंध को गहरा करने में मदद करता है, जिससे आध्यात्मिक ज्ञान और आंतरिक शांति प्राप्त होती है। - बाधाओं का निवारण
दुर्गा चालीसा का पाठ करने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं, जिससे व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में सफलता और समृद्धि के रास्ते खुलते हैं। - भावनात्मक और मानसिक कल्याण
नियमित जाप से मानसिक शांति मिलती है, तनाव कम होता है, और चिंता में राहत मिलती है, जिससे स्पष्टता और मन की शांति प्राप्त होती है। - स्वास्थ्य लाभ और उपचार
जय मां दुर्गा चालीसा का पाठ करने से उत्पन्न सकारात्मक तरंगें शारीरिक कल्याण और स्वास्थ्य समस्याओं से उबरने में मदद करती हैं, जिससे शरीर की ऊर्जा संतुलित होती है। - संबंधों में सामंजस्य
यह संबंधों में सामंजस्य और शांति लाने के लिए कहा जाता है, जिससे परिवार और सामाजिक इंटरैक्शन में समझ और विवादों को दूर किया जा सके। - इच्छाओं की पूर्ति
भक्त मानते हैं कि दुर्गा चालीसा का सच्चे मन से पाठ करने से उचित इच्छाएं और आकांक्षाएं पूरी होती हैं, जिससे विभिन्न प्रयासों में सफलता और खुशी मिलती है। - समृद्धि के लिए आशीर्वाद
भक्ति के साथ चालीसा का जाप करने से समृद्धि और प्रचुरता आकर्षित होती है, जिससे भौतिक धन और समग्र सफलता बढ़ती है। - कठिन समय में सुरक्षा
कठिन समय, विशेषकर संकट, डर, या अनिश्चितता की स्थिति में, जय मां दुर्गा चालीसा का पाठ दिव्य सुरक्षा, मार्गदर्शन, और राहत का कवच प्रदान करता है।
संक्षेप में, जय माँ दुर्गा चालीसा और दुर्गा आरती शक्तिशाली भक्तिमय स्तोत्र हैं, जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण को बढ़ावा देते हैं, साथ ही जीवन की चुनौतियों से दिव्य आशीर्वाद और सुरक्षा प्रदान करते हैं।
Maa Durga Chalisa in Hindi | श्री दुर्गा चालीसा | Durga Chalisa Lyrics in Hindi
श्री दुर्गा चालीसा
।। दोहा।।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः।।
।। चौपाई।।
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो अंबे दुःख हरनी।।
निराकार है ज्योति तुम्हारी ।
तिहूं लोक फैली उजियारी।।
शशि ललाट मुख महा विशाला।
नेत्र लाल भृकुटी विकराला ।।
रूप मातुको अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे ।।
तुम संसार शक्ति मय कीना ।
पालन हेतु अन्न धन दीना ।।
अन्नपूरना हुई जग पाला ।
तुम ही आदि सुंदरी बाला ।।
प्रलयकाल सब नासन हारी।
तुम गौरी शिव शंकर प्यारी ।।
शिव योगी तुम्हरे गुण गावैं।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावै।।
रूप सरस्वती को तुम धारा ।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा।।
धरा रूप नरसिंह को अम्बा ।
परगट भई फाड़कर खम्बा ।।
रक्षा करि प्रहलाद बचायो ।
हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो ।।
लक्ष्मी रूप धरो जग माही।
श्री नारायण अंग समाहीं । ।
क्षीरसिंधु मे करत विलासा ।
दयासिंधु दीजै मन आसा ।।
हिंगलाज मे तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी ।।
मातंगी धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ।।
श्री भैरव तारा जग तारिणी।
क्षिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ।।
केहरि वाहन सोहे भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी ।।
कर मे खप्पर खड्ग विराजै ।
जाको देख काल डर भाजै ।।
सोहे अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला ।।
नगर कोटि मे तुमही विराजत।
तिहुं लोक में डंका बाजत ।।
शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे ।।
महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अधिभार मही अकुलानी ।।
रूप कराल काली को धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा।।
परी गाढ़ संतन पर जब-जब।
भई सहाय मात तुम तब-तब ।।
अमरपुरी औरों सब लोका।
जब महिमा सब रहे अशोका ।।
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हे सदा पूजें नर नारी ।।
प्रेम भक्त से जो जस गावैं।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवै ।।
ध्यावें जो नर मन लाई ।
जन्म मरण ताको छुटि जाई ।।
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग नही बिन शक्ति तुम्हारी ।।
शंकर आचारज तप कीन्हों ।
काम क्रोध जीति सब लीनों ।।
निसदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको।।
शक्ति रूप को मरम न पायो ।
शक्ति गई तब मन पछितायो।।
शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी ।।
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा ।
दई शक्ति नहि कीन्ह विलंबा ।।
मोको मातु कष्ट अति घेरों ।
तुम बिन कौन हरे दुःख मेरो ।।
आशा तृष्णा निपट सतावै।
रिपु मूरख मोहि अति डरपावै ।।
शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं एकचित तुम्हें भवानी ।।
करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला ।।
जब लगि जियौं दया फल पाऊं।
तुम्हरौ जस मै सदा सुनाऊं ।।
दुर्गा चालीसा जो गावै ।
सब सुख भोग परम पद पावै।।
देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी ।।
।। दोहा।।
शरणागत रक्षा कर, भक्त रहे निःशंक ।
मैं आया तेरी शरण में, मातु लीजिए अंक।।
जय मां दुर्गा चालीसा हिंदी में उसके अर्थ सहित | Durga Chalisa in Hindi with it’s Meaning
दोहा
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः।।
यहां देवी जो सभी जीवों में शक्ति के रूप में विद्यमान हैं, को बार-बार नमन किया गया है।
चौपाई
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो अंबे दुःख हरनी।।
हे दुर्गा माँ, तुम्हें बार-बार नमन, जो सुख देने वाली और दुःख हरने वाली हो।
निराकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूं लोक फैली उजियारी।।
तुम्हारी ज्योति निराकार है और यह तीनों लोकों में फैल गई है, जिससे सभी जगमगा रहे हैं।
शशि ललाट मुख महा विशाला।
नेत्र लाल भृकुटी विकराला।।
तुम्हारा मस्तक चंद्रमा के समान है, और तुम्हारे विशाल नेत्र विकराल हैं।
रूप मातुको अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे।।
तुम्हारा रूप अत्यंत आकर्षक है, जिसे देखने से भक्तों को बहुत सुख मिलता है।
तुम संसार शक्ति मय कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना।।
तुमने इस संसार को शक्ति से परिपूर्ण किया है और पालन के लिए अन्न और धन प्रदान किया है।
अन्नपूरना हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुंदरी बाला।।
तुम अन्नपूर्णा हो, जिसने जग को पाला है, और तुम ही आदि सुंदरता की देवी हो।
प्रलयकाल सब नासन हारी।
तुम गौरी शिव शंकर प्यारी।।
प्रलय के समय तुमने सभी का नाश किया है और तुम गौरी हो, जो शिव और शंकर को प्रिय हो।
शिव योगी तुम्हरे गुण गावैं।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावै।।
शिव और योगी तुम्हारे गुण गाते हैं, जबकि ब्रह्मा और विष्णु तुम्हें हमेशा ध्यान करते हैं।
रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा।।
तुम सरस्वती के रूप में विद्यमान हो, जो ऋषि-मुनियों को बुद्धि प्रदान करती हो।
धरा रूप नरसिंह को अम्बा।
परगट भई फाड़कर खम्बा।।
तुमने नरसिंह का रूप धारण किया और खंभा फाड़कर प्रकट हुई।
रक्षा करि प्रहलाद बचायो।
हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो।।
तुमने प्रहलाद की रक्षा की और हिरण्यकश्यप को स्वर्ग भेजा।
लक्ष्मी रूप धरो जग माही।
श्री नारायण अंग समाहीं।।
तुमने लक्ष्मी का रूप धारण किया और जग में निवास किया, श्री नारायण तुम्हारे अंग में समाहित हैं।
क्षीरसिंधु मे करत विलासा।
दयासिंधु दीजै मन आसा।।
तुम क्षीर सागर में आनंद करती हो, कृपापात्र हो और हमें आशा प्रदान करो।
हिंगलाज मे तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी।।
तुम ही हिंगलाज हो, तुम्हारी महिमा अमिट है, जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता।
मातंगी धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता।।
तुम मातंगी और धूमावती माता हो, भुवनेश्वरी और बगलामुखी, जो सुख देने वाली हो।
श्री भैरव तारा जग तारिणी।
क्षिन्न भाल भव दुःख निवारिणी।।
तुम भैरव का तारा हो, जो जग को तारता है और दुखों को दूर करती है।
केहरि वाहन सोहे भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी।।
तुम्हारा वाहन केहरि (बाघ) है, और लंगूर वीर तुम्हारा अगुवाई करता है।
कर मे खप्पर खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजै।।
तुम्हारे हाथ में खप्पर और खड़ग है, जिसे देखकर काल भी भयभीत हो जाता है।
सोहे अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला।।
तुम्हारे अस्त्र और त्रिशूल सुंदर हैं, जब तुम उठती हो तो शत्रुओं का दिल भय से भर जाता है।
नगर कोटि मे तुमही विराजत।
तिहुं लोक में डंका बाजत।।
तुम नगरों में विराजमान हो, और तीनों लोकों में तुम्हारा डंका बजता है।
शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे।।
तुमने शुंभ और निशुंभ दानवों का नाश किया और रक्तबीज को समाप्त किया।
महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अधिभार मही अकुलानी।।
महिषासुर जो अत्यंत अभिमानी था, का तुमने नाश किया, जिससे धरती पर हलचल मच गई।
रूप कराल काली को धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा।।
तुमने कालिका का रूप धारण किया और सेना के साथ उसे नष्ट किया।
परी गाढ़ संतन पर जब-जब।
भई सहाय मात तुम तब-तब।।
जब-जब संतों पर संकट आया, तुमने उनकी सहायता की।
अमरपुरी औरों सब लोका।
जब महिमा सब रहे अशोका।।
अमरपुरी में और सभी लोकों में, जब तुम्हारी महिमा रहती है, तब सभी अशोक होते हैं।
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हे सदा पूजें नर नारी।।
तुम्हारी ज्योति ज्वाला में है, और नर-नारी तुम्हारी सदैव पूजा करते हैं।
प्रेम भक्त से जो जस गावैं।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवै।।
जो प्रेम से तुम्हारी महिमा गाते हैं, उनके पास दुःख और दरिद्रता नहीं आती।
ध्यावें जो नर मन लाई।
जन्म मरण ताको छुटि जाई।।
जो मन से तुम्हें ध्यान करते हैं, उनका जन्म और मरण समाप्त हो जाता है।
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग नही बिन शक्ति तुम्हारी।।
योगी, देवता और मुनि कहते हैं कि तुम्हारी शक्ति के बिना योग नहीं होता।
शंकर आचारज तप कीन्हों।
काम क्रोध जीति सब लीनों।।
शंकर और आचार्य ने तप किया और काम-क्रोध पर विजय प्राप्त की।
निसदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको।।
हर दिन शंकर का ध्यान रखो, परंतु किसी भी समय तुमका स्मरण नहीं किया जाता।
शक्ति रूप को मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछितायो।।
शक्ति रूप का महत्व समझ नहीं पाया, जब शक्ति चली गई, तब मन पछताया।
शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी।।
जो तुम्हारी शरण में आता है, उसकी कीर्ति बढ़ जाती है। जय हो जगदम्बा!
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहि कीन्ह विलंबा।।
जब जगदम्बा प्रसन्न होती है, तो शक्ति बिना किसी विलंब के देती है।
मोको मातु कष्ट अति घेरों।
तुम बिन कौन हरे दुःख मेरो।।
हे माता, मुझे कष्ट से घेर लिया है, तुमसे ही मेरे दुःख को दूर करने वाला कौन है।
आशा तृष्णा निपट सतावै।
रिपु मूरख मोहि अति डरपावै।।
आशा और तृष्णा मुझे परेशान करती हैं, और मूर्ख शत्रु मुझे बहुत डराते हैं।
शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं एकचित तुम्हें भवानी।।
हे महारानी, शत्रुओं का नाश करो, मैं तुम्हें एकाग्रता से स्मरण करता हूँ।
करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला।।
हे माता, कृपा करो, मुझे सिद्धि और ऋद्धि प्रदान करो।
जब लगि जियौं दया फल पाऊं।
तुम्हरौ जस मै सदा सुनाऊं।।
जब तक मैं जीवित हूँ, मैं तुम्हारी दया और महिमा का फल पाऊँगा और तुम्हारा नाम हमेशा लूँगा।
दुर्गा चालीसा जो गावै।
सब सुख भोग परम पद पावै।।
जो जय मां दुर्गा चालीसा का पाठ करता है, वह सभी सुख भोगता है और परम पद प्राप्त करता है।
देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी।।
देवीदास ने अपनी शरण ली है, हे जगदम्बा, कृपा करो।
दोहा
शरणागत रक्षा कर, भक्त रहे निःशंक।
मैं आया तेरी शरण में, मातु लीजिए अंक।।
हे देवी, तुम शरणागत की रक्षा करो, ताकि भक्त निश्चिंत रहें। मैं तुम्हारी शरण में आया हूँ, माँ मुझे अपने अंक में लो।
यह दुर्गा चालीसा माँ दुर्गा की महिमा, उनके शक्तिशाली रूप और भक्तों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना का वर्णन करता है।
हिंदी में माता दुर्गा चालीसा देखें | हिंदी में दुर्गा चालीसा सुनें और देखें | Maa Durga Chalisa in Hindi
Devi Durga Ma Video Gallery | दुर्गा माँ की आरतियाँ, मंत्र, चालीसा और भजन वीडियो
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
ये अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न माता दुर्गा चालीसा के विभिन्न पहलुओं को कवर करते हैं, जिनमें इसकी उत्पत्ति, महत्व और इसके पाठ से जुड़ी प्रथाएँ शामिल हैं।
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दुर्गा माँ चालीसा क्या है?
दुर्गा चालीसा एक भक्तिमय स्तोत्र (40 श्लोक) है, जो माँ दुर्गा को समर्पित है। इसमें उनकी शक्ति, ज्ञान और विभिन्न रूपों की स्तुति की जाती है, और उनकी कृपा से सुरक्षा और समृद्धि की कामना की जाती है।
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माता दुर्गा चालीसा का पाठ करने का उद्देश्य क्या है?
दुर्गा चालीसा का पाठ करने से माँ दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो नकारात्मकता से रक्षा करता है, मन की शांति प्रदान करता है और आध्यात्मिक शक्ति देता है।
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दुर्गा चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
दुर्गा चालीसा कभी भी पढ़ी जा सकती है, लेकिन इसे सबसे अधिक दुर्गा पूजा, नवरात्रि या शुक्रवार को पढ़ा जाता है, जिन्हें माँ दुर्गा की पूजा के लिए शुभ माना जाता है।
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क्या दुर्गा चालीसा रोज़ पढ़ी जा सकती है?
हाँ, दुर्गा चालीसा को रोज़ाना अपनी भक्तिमय साधना का हिस्सा बनाया जा सकता है, जिससे शांति, सुरक्षा और आशीर्वाद मिलता है।
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माता दुर्गा चालीसा पढ़ने के क्या लाभ हैं?
दुर्गा चालीसा का पाठ करने से आंतरिक शांति मिलती है, बाधाएँ दूर होती हैं, बुरी शक्तियों से रक्षा होती है और भक्त को जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए शक्ति और साहस मिलता है।
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दुर्गा चालीसा मूल रूप से किस भाषा में लिखी गई है?
दुर्गा चालीसा मूल रूप से हिंदी में लिखी गई है, जिसमें संस्कृत और अवधी भाषा का मिश्रण है।
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क्या दुर्गा चालीसा अंग्रेज़ी में पढ़ी जा सकती है?
हाँ, दुर्गा चालीसा अंग्रेज़ी या किसी भी अन्य भाषा में पढ़ी जा सकती है। यहाँ भाषा नहीं, बल्कि भक्ति सबसे महत्वपूर्ण है।
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माँ दुर्गा चालीसा के कितने श्लोक हैं?
माँ जय मां दुर्गा चालीसा में कुल 40 श्लोक हैं, जिनमें से दोहे भी शामिल हैं।
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क्या दुर्गा चालीसा वेद या पुराणों का हिस्सा है?
दुर्गा चालीसा वेद या पुराणों का हिस्सा नहीं है। यह एक अलग भक्तिमय स्तोत्र है, जिसे देवी दुर्गा का सम्मान करने के लिए रचा गया है, और इसे अक्सर पुराणिक परंपराओं से जोड़ा जाता है।
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माता दुर्गा चालीसा की रचना किसने की थी?
जय मां दुर्गा चालीसा की सटीक उत्पत्ति स्पष्ट नहीं है, लेकिन इसे व्यापक रूप से विभिन्न संतों और विद्वानों को समर्पित माना जाता है, जिन्होंने देवी की स्तुति में भजन रचे।