Latest
Category

श्री कृष्ण

Category

श्री कृष्ण: दिव्य प्रेम और जीवन के मार्गदर्शक

श्री कृष्ण हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख और आदर्श देवताओं में से एक हैं। वे न केवल एक महान योद्धा और राजनीतिज्ञ थे, बल्कि वे अपने जीवन में प्रेम, करुणा, और भक्ति के आदर्श भी प्रस्तुत करते हैं। श्री कृष्ण का जीवन और उनके उपदेश आज भी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनका जीवन हमें सत्य, धर्म, और न्याय की राह पर चलने का मार्ग दिखाता है।

श्री कृष्ण का जन्म और उनकी बाल लीलाएँ

श्री कृष्ण का जन्म त्रेतायुग में मथुरा के कारागार में हुआ था। उनके माता-पिता देवकी और वासुदेव थे। उनके जन्म के समय मथुरा में कंस नामक राक्षस शासक था, जो अपनी बहिन देवकी के पुत्रों को मारना चाहता था, क्योंकि भविष्यवाणी के अनुसार, उसी के द्वारा मरने वाला उसका वध करेगा। श्री कृष्ण का जन्म एक चमत्कारी घटना थी और इसके बाद उन्होंने बचपन में अनेक अद्भुत लीलाएँ कीं।

उनकी बाल लीलाएँ अत्यंत प्रसिद्ध हैं, जैसे गोवर्धन पर्वत उठाना, माखन चोर का रूप धारण करना, और गोपियों के साथ रासलीला करना। ये सारी लीलाएँ श्री कृष्ण के दिव्य रूप और परमात्मा के प्रति भक्तों की निष्ठा को दर्शाती हैं।

श्री कृष्ण का गीता उपदेश

श्री कृष्ण का सबसे महत्वपूर्ण योगदान भगवद गीता में निहित है, जो महाभारत के भीष्म पर्व में अर्जुन और कृष्ण के बीच संवाद के रूप में प्रस्तुत किया गया है। गीता में श्री कृष्ण ने अर्जुन को जीवन के विभिन्न पहलुओं पर उपदेश दिया। उन्होंने उसे यह समझाया कि कर्म, भक्ति, और योग के माध्यम से आत्मा की शुद्धि कैसे की जा सकती है और धर्म के मार्ग पर कैसे चला जा सकता है।

गीता का उपदेश आज भी हमारे जीवन के लिए एक मार्गदर्शक बनता है। श्री कृष्ण ने बताया कि व्यक्ति को अपने कर्मों में निस्वार्थ भाव से लगे रहना चाहिए, बिना किसी फल की आकांक्षा किए। इसके अलावा, उन्होंने भक्ति को सर्वोच्च माना और कहा कि आत्मसमर्पण से ही भगवान की प्राप्ति होती है।

श्री कृष्ण के प्रमुख रूप और उनके प्रतीक

  1. राधा-कृष्ण:
    राधा और कृष्ण का संबंध प्रेम और भक्ति का सर्वोत्तम उदाहरण है। राधा को कृष्ण की परम भक्त माना जाता है, और उनका प्रेम केवल शारीरिक आकर्षण से परे होता है, यह दिव्य प्रेम का प्रतीक है। राधा-कृष्ण की लीलाएँ भगवान के साथ गहरी भक्ति और आध्यात्मिक संबंध को दर्शाती हैं।
  2. गोपियाँ और रासलीला:
    श्री कृष्ण का गोपियों के साथ रासलीला करना प्रेम और भक्ति का एक रूप है, जो यह दर्शाता है कि जब व्यक्ति अपने हृदय से परमात्मा के प्रति समर्पित होता है, तो वह दिव्य प्रेम और आध्यात्मिक आनंद का अनुभव कर सकता है।
  3. कृष्ण के वाहन – गरुड़:
    श्री कृष्ण के साथ अक्सर गरुड़ (एक दिव्य पक्षी) को चित्रित किया जाता है। गरुड़ शक्ति, गति और एकता का प्रतीक है और यह दिखाता है कि श्री कृष्ण के साथ संयोग से हम भी दिव्य शक्ति का अनुभव कर सकते हैं।
  4. शंख, चक्र, गदा, पद्म:
    श्री कृष्ण के हाथों में शंख (ध्वनि का प्रतीक), चक्र (समय और सृष्टि का प्रतीक), गदा (शक्ति का प्रतीक) और पद्म (सततता और शुद्धता का प्रतीक) होते हैं, जो उनके सर्वव्यापक और सर्वशक्तिमान रूप का प्रतीक हैं।

श्री कृष्ण के जीवन से शिक्षाएँ:

  1. कर्मयोग (Nishkama Karma):
    श्री कृष्ण ने गीता में कहा था, “कर्म करो, फल की इच्छा मत करो”। इसका मतलब है कि हमें अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह ईमानदारी से करना चाहिए, लेकिन हमें नतीजों की चिंता नहीं करनी चाहिए। हमारा ध्यान केवल अपने कर्तव्यों को निभाने में होना चाहिए।
  2. भक्ति और आत्मसमर्पण:
    श्री कृष्ण ने यह भी बताया कि जो व्यक्ति अपने हृदय से पूर्ण रूप से भगवान को समर्पित कर देता है, वह सच्चे रूप से भगवान का प्रेम और आशीर्वाद प्राप्त करता है। भक्ति में पूरी तरह से समर्पण और विश्वास होना चाहिए।
  3. धर्म की रक्षा:
    श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध में अर्जुन को बताया कि धर्म की रक्षा करना प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है। कभी भी बुराई के सामने नहीं झुकना चाहिए और हमेशा सत्य और न्याय की राह पर चलना चाहिए।
  4. जीवन में संतुलन:
    श्री कृष्ण का जीवन यह सिखाता है कि व्यक्ति को अपने जीवन में संतुलन बनाए रखना चाहिए। हमें अपने परिवार, समाज और अपने व्यक्तिगत जीवन के बीच संतुलन स्थापित करना चाहिए।

श्री कृष्ण के त्यौहार और पूजा

श्री कृष्ण के उपासकों के लिए सबसे प्रमुख त्यौहार राधा कृष्ण का जन्मोत्सव (जन्माष्टमी) है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था और इसे पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, रातभर जागते हैं, भजन करते हैं, और भगवान की पूजा करते हैं।

इसके अलावा गोवर्धन पूजा और दीपावली जैसे त्यौहार भी श्री कृष्ण के जीवन से जुड़े हैं। गोवर्धन पूजा में श्री कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा का स्मरण किया जाता है, और दीपावली में कृष्ण के साथ उनके भक्तों की अच्छाई की विजय का प्रतीक है।

1. हरे कृष्ण महा मंत्र हरे कृष्ण, हरे कृष्ण,कृष्ण कृष्ण, हरे हरे,हरे राम, हरे राम,राम राम, हरे हरे। Meaning: यह मंत्र भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराम के नामों का उच्चारण है। इसका अर्थ है कि हम भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराम को स्मरण कर रहे हैं और उनकी कृपा की प्रार्थना कर रहे हैं। 2. कृष्ण गायत्री मंत्र ॐ दामोदराय विद्महे,रुक्मिणीवल्लभाय धीमहि,तन्नो कृष्ण: प्रचोदयात्। Om Damodaray Vidmahe,Rukmani Vallabhaya Dheemahe,Tanno Krishna Prachodayat. Meaning: हम भगवान दामोदर को जानने का प्रयास करते हैं, रुक्मिणी के पति के रूप में ध्यान करते हैं। भगवान कृष्ण हमें प्रेरित करें। 3. Moola Mantra ॐ क्लीं कृष्णाय नमः।…

कृष्ण: दिव्य भगवान कृष्ण, जिन्हें अक्सर एक मोहक और चंचल देवता के रूप में दर्शाया जाता है, हिंदू पौराणिक कथाओं में एक केंद्रीय आकृति हैं। वे भगवान विष्णु के आठवें अवतार हैं और पूरे भारत और उसके बाहर व्यापक रूप से पूजनीय हैं। उनका जीवन और शिक्षाएँ विभिन्न ग्रंथों में दर्ज हैं, जिनमें महाभारत और
BhaktiMeShakti Hindi
Privacy Overview

This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.