Table of Contents
- 0.1 दुर्गा जी की आरती | Maa Durga Aarti in Hindi
- 0.2 अर्थ सहित दुर्गा माँ की आरती | Maa Durga Aarti in Hindi with meaning
- 0.3 1. ॐ जय अम्बे गौरी…
- 0.4 2. जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
- 0.5 3. तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
- 0.6 4. मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।
- 0.7 5. उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥
- 0.8 6. कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।
- 0.9 7. रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥
- 0.10 8. केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।
- 0.11 9. सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥
- 0.12 10. कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
- 0.13 11. कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥
- 0.14 12. शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।
- 0.15 13. धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥
- 0.16 14. चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।
- 0.17 15. मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥
- 0.18 16. ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।
- 0.19 17. आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥
- 0.20 18. चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों ।
- 0.21 19. बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥
- 0.22 20. तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,
- 0.23 21. भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता ॥
- 0.24 22. भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी ।
- 0.25 23. मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥
- 0.26 24. कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
- 0.27 25. श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥
- 0.28 26. श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।
- 0.29 27. कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥
- 0.30 28. जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
- 1 देखें दुर्गा मां की आरती| दुर्गा आरती सुनें | अनुराधा पौडवाल के बोल के साथ दुर्गा आरती | Watch Maa Durga Aarti in Hindi
- 2 Devi Durga Ma Video Gallery | दुर्गा माँ की आरतियाँ, मंत्र, चालीसा और भजन वीडियो
- 2.1 माँ दुर्गा की आरती का महत्व क्या है?
- 2.2 दुर्गा आरती कब गाई जाती है?
- 2.3 क्या दुर्गा आरती केवल नवरात्रि में ही की जाती है?
- 2.4 माँ दुर्गा की आरती करने के क्या लाभ होते हैं?
- 2.5 दुर्गा आरती करने का सही समय क्या है?
- 2.6 दुर्गा आरती के साथ कौन से अन्य भजन या मंत्र गाए जाते हैं?
- 2.7 क्या दुर्गा आरती के दौरान विशेष नियमों का पालन करना चाहिए?
- 2.8 दुर्गा आरती कितने प्रकार की होती है?
- 2.9 क्या दुर्गा आरती घर पर की जा सकती है?
- 2.10 दुर्गा आरती के दौरान कौन-कौन से पूजन सामग्री की आवश्यकता होती है?
दुर्गा जी की आरती | Maa Durga Aarti in Hindi
ॐ जय अम्बे गौरी…
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों ।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी ।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
दुर्गा आरती के लाभ:
दुर्गा आरती करने से कई आध्यात्मिक, भावनात्मक, और मानसिक लाभ मिलते हैं, जो व्यक्ति की दिव्यता से जुड़ाव को बढ़ाते हैं और व्यक्तिगत कल्याण को प्रोत्साहित करते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख लाभ दिए गए हैं:
- आध्यात्मिक उन्नति
दुर्गा आरती माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का साधन है, जो गहन आध्यात्मिक जुड़ाव को बढ़ावा देती है। यह व्यक्ति की चेतना को ऊँचा उठाने और उच्च आध्यात्मिक ऊर्जा से जुड़ने में मदद करती है। - नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा
माँ दुर्गा को एक शक्तिशाली रक्षक माना जाता है। उनकी आरती का नियमित पाठ उनकी दिव्य शक्ति को जागृत करता है, जो नकारात्मक ऊर्जाओं, बुरी ताकतों और जीवन की चुनौतियों से रक्षा करती है। - शक्ति और साहस
आरती का उच्चारण आंतरिक शक्ति और साहस को प्रेरित करता है। दुर्गा अपने योद्धा स्वरूप के लिए जानी जाती हैं, और उनकी कृपा भक्तों को बाधाओं को पार करने और जीवन की चुनौतियों का सामना करने की क्षमता प्रदान करती है। - मानसिक शांति
आरती के लयबद्ध उच्चारण और ध्वनि से मन में शांति आती है। यह तनाव और चिंता को कम करती है, और उपासकों को शांति और सुकून प्रदान करती है। - भावनात्मक संतुलन
दुर्गा आरती भावनात्मक संतुलन स्थापित करती है। यह धैर्य, करुणा, और भावनात्मक शक्ति जैसे गुणों का पोषण करती है, जिससे भक्त कठिन परिस्थितियों का सामना सहजता से कर सकते हैं। - आध्यात्मिक शुद्धिकरण
आरती को शुद्धिकरण की एक विधि माना जाता है। आरती की रोशनी अंधकार, अज्ञानता, और नकारात्मक भावनाओं को दूर करती है, जिससे मन और आत्मा की शुद्धि होती है। - समृद्धि के लिए आशीर्वाद
भक्त माँ दुर्गा से समृद्धि और संपन्नता के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। आरती को भक्ति के साथ करने से भौतिक और आध्यात्मिक दोनों ही प्रकार की संपदा प्राप्त होती है। - समुदाय और एकता
आरती अक्सर समूह में की जाती है, जिससे एकता और समुदाय का भाव उत्पन्न होता है। इस साझा भक्ति से सामूहिक सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है और सामाजिक संबंध मजबूत होते हैं। - भक्ति और कृतज्ञता को बढ़ावा
यह अभ्यास दिव्यता के प्रति भक्ति और कृतज्ञता की भावना को प्रोत्साहित करता है। यह व्यक्ति के विश्वास को गहरा करता है और विनम्रता का भाव लाता है, यह जानते हुए कि दिव्य शक्ति मार्गदर्शन और रक्षा कर रही है। - इच्छाओं की पूर्ति
दुर्गा आरती का नियमित और ईमानदारी से प्रदर्शन इच्छाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने में मदद करता है, क्योंकि भक्त माँ से अपने व्यक्तिगत और आध्यात्मिक लक्ष्यों के लिए कृपा प्राप्त करते हैं।
दुर्गा आरती को अपनी आध्यात्मिक साधना में शामिल करने से आंतरिक शांति और बाहरी कल्याण में बहुत वृद्धि हो सकती है।
अर्थ सहित दुर्गा माँ की आरती | Maa Durga Aarti in Hindi with meaning
“ॐ जय अम्बे गौरी” देवी दुर्गा को समर्पित एक लोकप्रिय आरती है, जहाँ भक्त उनके विभिन्न रूपों की स्तुति करते हैं और उनका आशीर्वाद माँगते हैं। आरती का हिंदी में पंक्ति-दर-पंक्ति अर्थ नीचे दिया गया है:
1. ॐ जय अम्बे गौरी…
- ॐ जय अम्बे गौरी: हे माँ गौरी, आपकी जय हो।
2. जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
- जय अम्बे गौरी: माँ अम्बे गौरी की जय हो।
- मैया जय श्यामा गौरी: माँ श्यामा गौरी की जय हो।
3. तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
- तुमको निशदिन ध्यावत: हरि (विष्णु), ब्रह्मा और शिव निरंतर आपकी आराधना करते हैं।
- हरि ब्रह्मा शिवरी: विष्णु, ब्रह्मा और शिव आपको ध्याते हैं।
4. मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।
- मांग सिंदूर विराजत: आपकी मांग में सिंदूर सुशोभित है।
- टीको मृगमद को: आपके माथे पर चंदन का तिलक लगा हुआ है।
5. उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥
- उज्ज्वल से दोउ नैना: आपके दोनों नेत्र चमकदार हैं।
- चंद्रवदन नीको: आपका मुख चंद्रमा के समान सुंदर है।
6. कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।
- कनक समान कलेवर: आपका शरीर सोने के समान चमक रहा है।
- रक्ताम्बर राजै: आप लाल वस्त्र धारण किए हुए हैं।
7. रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥
- रक्तपुष्प गल माला: आपके गले में लाल फूलों की माला सुशोभित है।
- कंठन पर साजै: आपकी गरदन पर यह माला शोभायमान है।
8. केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।
- केहरि वाहन राजत: आप सिंह पर विराजमान हैं।
- खड्ग खप्पर धारी: आपके हाथों में तलवार और खप्पर (खोपड़ी) धारण है।
9. सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥
- सुर-नर-मुनिजन सेवत: देवता, मनुष्य और ऋषि आपकी सेवा करते हैं।
- तिनके दुखहारी: आप उनके सभी दुखों का नाश करती हैं।
10. कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
- कानन कुण्डल शोभित: आपके कानों में कुंडल (झुमके) सुशोभित हैं।
- नासाग्रे मोती: आपकी नाक पर मोती की नथ सुशोभित है।
11. कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥
- कोटिक चंद्र दिवाकर: आपकी ज्योति लाखों चंद्रमाओं और सूर्यों के समान चमक रही है।
- सम राजत ज्योती: आपके तेज की कोई तुलना नहीं है।
12. शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।
- शुंभ-निशुंभ बिदारे: आपने शुंभ और निशुंभ का वध किया।
- महिषासुर घाती: आप महिषासुर का वध करने वाली हैं।
13. धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥
- धूम्र विलोचन नैना: आपके नेत्र धूम्र (धुएं) जैसे हैं।
- निशदिन मदमाती: आप हमेशा मदमस्त रहती हैं, यानी अपनी शक्ति में मग्न रहती हैं।
14. चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।
- चण्ड-मुण्ड संहारे: आपने चण्ड और मुण्ड का संहार किया।
- शोणित बीज हरे: आपने शोणित बीज का भी नाश किया।
15. मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥
- मधु-कैटभ दोउ मारे: आपने मधु और कैटभ का वध किया।
- सुर भयहीन करे: आपने देवताओं को भयमुक्त किया।
16. ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।
- ब्रह्माणी, रूद्राणी: आप ब्रह्माणी (ब्रह्मा की शक्ति) और रूद्राणी (शिव की शक्ति) हैं।
- तुम कमला रानी: आप लक्ष्मी की रानी हैं।
17. आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥
- आगम निगम बखानी: वेद और शास्त्र आपकी महिमा का वर्णन करते हैं।
- तुम शिव पटरानी: आप शिव की पत्नी (पत्नी) हैं।
18. चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों ।
- चौंसठ योगिनी मंगल गावत: 64 योगिनियाँ आपका मंगल गान करती हैं।
- नृत्य करत भैरों: भैरव आपकी आराधना में नृत्य करते हैं।
19. बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥
- बाजत ताल मृदंगा: आपके पूजन में मृदंग बजते हैं।
- अरू बाजत डमरू: और डमरू भी बजता है।
20. तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,
- तुम ही जग की माता: आप ही इस संसार की माँ हैं।
- तुम ही हो भरता: और आप ही इसका पालन करती हैं।
21. भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता ॥
- भक्तन की दुख हरता: आप अपने भक्तों के सभी दुखों का हरण करती हैं।
- सुख संपति करता: और उन्हें सुख और संपत्ति प्रदान करती हैं।
22. भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी ।
- भुजा चार अति शोभित: आपकी चार भुजाएँ अत्यंत सुंदर हैं।
- खडग खप्पर धारी: आप खड्ग और खप्पर धारण करती हैं।
23. मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥
- मनवांछित फल पावत: आपकी सेवा करने वाले मनुष्य और नारी अपनी इच्छाओं को प्राप्त करते हैं।
24. कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
- कंचन थाल विराजत: आपके सामने सोने की थाली में पूजा का सामान रखा है।
- अगर कपूर बाती: और कपूर से दीपक जलाया जा रहा है।
25. श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥
- श्रीमालकेतु में राजत: आप श्रीमालकेतु (श्रीफल, नारियल) पर राज करती हैं।
- कोटि रतन ज्योती: आपकी ज्योति करोड़ों रत्नों जैसी चमक रही है।
26. श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।
- श्री अंबेजी की आरति: जो भी मनुष्य माँ अम्बे की आरती गाता है।
27. कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥
- कहत शिवानंद स्वामी: शिवानंद स्वामी कहते हैं कि उसे सुख और संपत्ति प्राप्त होती है।
28. जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
- जय अम्बे गौरी: माँ अम्बे गौरी की जय हो।
- मैया जय श्यामा गौरी: माँ श्यामा गौरी की जय हो।
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FAQs on Durga Aarti
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माँ दुर्गा की आरती का महत्व क्या है?
माँ दुर्गा की आरती उनके प्रति भक्ति और सम्मान व्यक्त करने का एक तरीका है। यह भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सुख, और समृद्धि लाने में सहायक मानी जाती है।
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दुर्गा आरती कब गाई जाती है?
दुर्गा आरती प्रायः नवरात्रि के दौरान, सुबह और शाम के समय गाई जाती है। इसके अलावा, किसी भी दुर्गा पूजा या विशेष अवसर पर इसे गाया जा सकता है।
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क्या दुर्गा आरती केवल नवरात्रि में ही की जाती है?
नहीं, माँ दुर्गा की आरती किसी भी समय की जा सकती है। विशेषकर नवरात्रि में इसका विशेष महत्व होता है, लेकिन भक्त रोज़ाना भी इसे गा सकते हैं।
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माँ दुर्गा की आरती करने के क्या लाभ होते हैं?
माँ दुर्गा की आरती से मानसिक शांति, नकारात्मक ऊर्जा का नाश, और सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है। इसे करने से भक्तों के जीवन में समृद्धि और सौभाग्य आता है।
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दुर्गा आरती करने का सही समय क्या है?
माँ दुर्गा की आरती का सही समय सुबह सूर्योदय के समय और शाम को सूर्यास्त के बाद होता है।
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दुर्गा आरती के साथ कौन से अन्य भजन या मंत्र गाए जाते हैं?
दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती के श्लोक, और देवी स्तुति जैसे भजन और मंत्र दुर्गा आरती के साथ गाए जा सकते हैं।
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क्या दुर्गा आरती के दौरान विशेष नियमों का पालन करना चाहिए?
हाँ, दुर्गा आरती के दौरान साफ-सुथरे वस्त्र पहनने चाहिए, मन को शांत और शुद्ध रखना चाहिए, और माँ दुर्गा के प्रति पूर्ण समर्पण और भक्ति से आरती करनी चाहिए।
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दुर्गा आरती कितने प्रकार की होती है?
दुर्गा आरती के कई रूप होते हैं, जैसे “ॐ जय अम्बे गौरी” सबसे प्रसिद्ध है। इसके अलावा भी अन्य आरतियाँ और स्तुतियाँ होती हैं जो माँ दुर्गा की महिमा का गुणगान करती हैं।
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क्या दुर्गा आरती घर पर की जा सकती है?
हाँ, दुर्गा आरती घर पर की जा सकती है। पूजा की साफ-सफाई और श्रद्धा का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। नियमित रूप से आरती करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
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दुर्गा आरती के दौरान कौन-कौन से पूजन सामग्री की आवश्यकता होती है?
दुर्गा आरती के दौरान दीपक, धूप, फूल, कपूर, सिंदूर, प्रसाद और पंचामृत का उपयोग किया जाता है।