देवी देवतायें

शिव तांडव स्तोत्र: रावण द्वारा रचित एक अद्भुत स्तुति

Pinterest LinkedIn Tumblr

🔱 परिचय (Introduction)

शिव तांडव स्तोत्र एक अत्यंत शक्तिशाली और प्रभावशाली स्तुति है, जो भगवान शिव की दिव्यता, शक्ति और तांडव रूप का सुंदर वर्णन करती है। यह स्तोत्र रावण द्वारा रचा गया था—जिसे भगवान शिव का परम भक्त माना जाता है।

शिव तांडव न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह शिव की अपार ऊर्जा, सौंदर्य और विकराल रूप की महिमा का भी गान है। इस स्तोत्र का पाठ करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, मानसिक शांति मिलती है और जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।


📜 शिव तांडव स्तोत्र की उत्पत्ति (Origin of Shiv Tandav Stotram)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण जब कैलाश पर्वत को अपने बल से उठाने का प्रयास कर रहा था, तब भगवान शिव ने अपने अंगूठे से पर्वत को दबाया और रावण उसके नीचे दब गया। उस स्थिति में, रावण ने अपनी वेदना को भुलाकर भगवान शिव की स्तुति में यह महान तांडव स्तोत्र रचा।

यह स्तोत्र 16 छंदों का है और प्रत्येक छंद में भगवान शिव की सुंदरता, उनके स्वरूप, उनकी शक्ति और उनके तांडव नृत्य का वर्णन किया गया है।

💫 शिव तांडव स्तोत्र का अर्थ (Meaning of Shiv Tandav Stotram)

हर छंद में शिवजी की एक विशेषता का उल्लेख होता है:

  • उनकी जटाओं से बहता हुआ गंगा जल
  • चंद्रमा का मुकुट
  • गले में लिपटे हुए नाग
  • डमरू की ध्वनि
  • उनकी विकराल आंखें और भस्म लिप्त शरीर

इन छंदों में भगवान शिव की भव्यता और अजेयता का वर्णन करते हुए उनकी आराधना की जाती है।

Watch the Shiv Tandav Stotram Video

🌟 शिव तांडव स्तोत्र के लाभ (Benefits of Shiv Tandav Stotram)

  1. नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति – घर और मन की अशांति को शांत करता है।
  2. आत्मिक बल – मानसिक मजबूती और आत्मविश्वास बढ़ाता है।
  3. स्वास्थ्य लाभ – तनाव, चिंता और भय को दूर करता है।
  4. सफलता का मार्ग – कार्यों में अड़चनें दूर होती हैं और उन्नति मिलती है।
  5. आध्यात्मिक जागरूकता – भगवान शिव के साथ आध्यात्मिक संबंध मजबूत होता है।

🕉️ कैसे करें शिव तांडव स्तोत्र का पाठ (How to Chant Shiv Tandav Stotram)

  • सुबह या शाम के समय शुद्ध मन से पाठ करें
  • भगवान शिव के चित्र या शिवलिंग के सामने बैठकर करें
  • 11, 21 या 108 बार पाठ करने से विशेष लाभ होता है
  • सोमवार या श्रावण महीने में पाठ का विशेष महत्व होता है

📽️ शिव तांडव स्तोत्र वीडियो (Watch Shiv Tandav Stotram Video)

हमारे YouTube चैनल BhaktiMeShakti पर सुनें शक्तिशाली शिव तांडव स्तोत्र का सुंदर उच्चारण और भक्ति से भरपूर दर्शन।
🙏 देखें, सुनें और शिव आराधना में लीन हो जाएं।

📌 निष्कर्ष (Conclusion)

शिव तांडव स्तोत्र केवल एक गीत नहीं, बल्कि एक दिव्य अनुभव है जो भक्त को भगवान शिव की ऊर्जाओं से जोड़ता है। श्रावण महीने में इसका पाठ विशेष फलदायी माना जाता है। आप भी इस स्तोत्र के माध्यम से शिवभक्ति को और गहरा कर सकते हैं।

🔔 हर हर महादेव! जय भोलेनाथ!

रावण द्वारा रचित शिव तांडव स्तोत्र

जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् ।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥1॥

जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी
विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि ।
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥2॥

धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे ।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि
क्वचिद्दिगम्बरे(क्वचिच्चिदम्बरे) मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥3॥

जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा
कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे ।
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥4॥

सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर
प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः ।
भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक
श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥5॥

ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा
निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् ।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं
महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ॥6॥

करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल
द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके ।
धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ॥7॥

नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्
कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः ।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः
कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः ॥8॥

प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा
वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् ।
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे ॥9॥

अगर्व सर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी
रसप्रवाहमाधुरी विजृम्भणामधुव्रतम् ।
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ॥10॥

जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस
द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् ।
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः ॥11॥

दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्
गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समं प्रव्रितिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम ॥12॥

कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन् ।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ॥13॥

निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-
निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।
तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं
परिश्रय परं पदं तदङ्गजत्विषां चयः ॥14॥

प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी
महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना ।
विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः
शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम् ॥15॥

इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् ।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् ॥16॥

पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं
यः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः ॥17॥

इति श्रीरावण कृतम्
शिव ताण्डव स्तोत्र संपूर्णम

ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय

Write A Comment

BhaktiMeShakti Hindi
Privacy Overview

This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.